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जयंत विष्णु नार्लीकर (नार्लीकर) का जन्म १९जुलाई १९३८ को कोल्हापुर माहाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता विष्णु वासुदेव नार्लीकर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) में गणित के अध्यापक थे तथा मां संस्कृत की विद्वान थीं।
नार्लीकर की प्रारम्भिक शिक्षा बनारस में हुई। बी.एच.यू. से बी.एस.सी. की ड्रिग्री लेने के बाद वे कैम्ब्रिज विश्विद्यालय चले गये। उन्होने कैम्ब्रिज से गणित की डिग्री ली और खगोल-शास्त्र एवं खगोल- भौतिकी में दक्षता प्राप्त की।
आजकल यह माना जाता है कि ब्रहमांड की उतपत्ति बिग बैंग के द्वारा हुई थी पर इसके साथ साथ ब्रहमांड की उतपत्ति के बारे में एक और सिद्धान्त प्रतिपादित है, जिसका नाम स्टेडी स्टेट सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त के जनक फ्रेड हॉयल हैं। अपने इंगलैंड के प्रवास के दौरान, नार्लीकर ने इस सिद्धान्त पर फ्रेड हॉयल के साथ काम किया।
१९७० के दशक में नार्लीकर भारतवर्ष वापस लौट आये और टाटा रिसर्च इन्सटिट्यूट में कार्य करने लगे। १९८८ में विश्विद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा उन्हे Inter-University Centre for Astronomy and Astrophysics (IUCAA) सथापित करने का कार्य सौपा गया। उन्होने यहां से २००३ में अवकाश ग्रहण कर लिया। अब वे वहीं प्रतिष्टित अध्यापक हैं। अपने जीवन के सफर में, नार्लीकर को अनेक पुरुस्कारों से नवाज़ा गया। इन पुरुस्कारों में प्रमुख हैं: स्मिथ पुरुस्कार (१९६२), पद्म भूषण (१९६५), एडम्स पुरुस्कार (१९६७), कलिंग पुरुस्कार (१९६६) शांतिस्वरूप पुरुस्कार (१९७९), और पद्म विभूक्षण (२००४)।
नार्लीकर न ही केवल विज्ञान में किये कार्य के लिये जाने जाते हैं पर वे विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में भी पहचाने जाते हैं। उन्हे अक्सर टीवी या रेडियो पर विज्ञान के लोकप्रिय भाषण देते हुऐ या फिर विज्ञान पर सवालों के जवाब देते हुए देखा एवं सुना जा सकता है।
नार्लीकर ने न केवल विज्ञान से सम्बन्धित अकल्पित (non-fiction) पुस्तकें लिखी हैं पर विज्ञान से सम्बन्धित कल्पित (fiction) पुस्तकें भी लिखी हैं। यह सारी पुस्तके अंग्रेजी, हिन्दी, मराठी के साथ कई अन्य भाषाओं में हैं। धूमकेतु नामक पुस्तक, विज्ञान से सम्बन्धित की छोटी छोटी कल्पित कहानियों का संकलन है। यह हिन्दी में है। इसकी कुछ कहानियां मराठी से अनुवाद की गयी हैं। यह कहानियां विज्ञान के अलग अलग सिद्धान्त पर आधारित हैं। The Return of Vaman उनके द्वारा लिखा हुआ विज्ञान का कल्पित उपन्यास है। इस उपन्यास की कहानी भविष्य की एक घटना पर आधारित है, जिसके ताने-बाने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा, बहुत सुन्दर तरीके से समायोजित है। यह दोनो पुस्तकें सरल भाषा में, विज्ञान को सरलया से समझाते हुऐ, लिखी गयी हैं। यदि आपने कभी भी विज्ञान नहीं पढ़ा है तब भी आप इसे आसानी से समझ सकेगें। एक बार शुरु करने के बाद आप इन्हें छोड़ नहीं पायेंगे। नार्लीकर के द्वारा लिखी अथवा सम्पादित पुस्तकों की सूची यहां है।
नार्लीकर ने बहुत समय बी.एच.यू. में बिताया है उन्ही में से कुछ लम्हों को वे यहां यादों की दूरबीन से देख रहें हैं। यह लेख हिन्दी में लिखा है और आप चाहे बी.एच.यू. में पढ़े हों या नहीं, चाहे वहां गये हों या नहीं, आपको यह पढ़ कर अच्छा लगेगा।
1 comment:
डा.जयन्त विष्णु नार्लीकर की लेखनी बहुत ही रोचक होती है...। उनके बारे में इस संक्षिप्त लेख के लिए शुक्रिया...और बधाई भी...।
प्रियंका गुप्ता
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